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मैंने रसोई में एक चारपाई लगाई और उसे नंगी ही उठाकर रसोई में ले गया और उस चारपाई पर लिटा दिया। उसकी शक भरी निगाहें देख कर मैंने भांप लिया कि उसे अभी ये खौफ है कि मैं उसे यहाँ और चोदूँगा। फिर मैंने बुआ के होंठों पर एक किस किया और बोला- महारानी साहिबा.. मेरी इज्जत तो गाँव में जो थी.. वो ही है.. पर मैंने आपकी इज्जत पूरी तरह से लूट ली है.. आप अब गाँव और घर में किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं हो.. यहाँ हम आपको सम्भोग या सहवास करने के लिए नहीं बल्कि दूध पिलाने लाए हैं। बुआ थोड़ा मुस्कुराई और बोली- मेरे शहंशाह.. मेरी इज्जत आपने लूट जरूर ली है.. पर ये बात सिर्फ़ आपको और मुझे पता है.. और मुझे नहीं लगता कि ये बात किसी और को पता लगेगी और अधिकांश लड़कियों को दूध अच्छा नहीं लगता है। मेरे शहंशाह अगर आप चाय पिलाएंगे.. तो हमें बहुत खुशी होगी। उसके चेहरे पर खुशी से भरी एक मुस्कान थी। मैंने उसे चाय पिलाई और उसे एक दर्द निवारक गोली दी। लगभग एक घन्टे बाद जब उसे थोड़ी राहत मिली तो मैं उसे अपने एक दोस्त की बाइक से घर पर छोड़कर आया।
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